Vachanbodh – A collection of inspiring thoughts by Gyani Mahatamas

राग-द्वेष बंद हो जावे तो अच्छा ऐसा विकल्प स्वयं निर्विकल्पता के प्रति राग और विकल्प के प्रति द्वेष है। अतः राग-द्वेष को सिर्फ़ देखो। हटाने की कोशिश मत करो। क्रोध से नुक़सान मानना क्रोध के प्रति द्वेष है। भक्ति से लाभ मानना भक्ति के प्रति राग है। वास्तव में न क्रोध से नुक़सान है, न क्षमा से लाभ है।

दोषों का अवलोकन नहीं करना नुक़सान है और सिर्फ़ अवलोकन करना लाभ है।

Avlokan – Atma Nirikshan ki Anoothi Kala
Pujya Shri Devchand Bhai

सम्यकदृष्टि को आत्मा को छोड़कर बाहर कहीं भी अच्छा लगता नहीं है। ये श्रद्धा का परिणमन (है)।

जगत की कोई चीज सुंदर लगती नहीं है। सबसे वैराग्य, वैराग्य, वैराग्य। उसको पूरी दुनिया का राज्य दे दो, उसको कोई ख़ुशी नहीं है। सब कुछ छीन लो उसके पास से, दुःखी नहीं है वो। चाहे जैसी प्रतिकूलता आवे दुःखी नहीं। चाहे जैसे अनुकूलता आवे सुखी नहीं है॥४२॥

Shri Devguruji ke Vachanamrut
Pujya Shri Devchand Bhai